Loading

रामू और एक बंदर की कहानी

एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में रामू नाम का एक लड़का रहता था। रामू बहुत ही चंचल और बुद्धिमान था। वह हमेशा नई-नई बातें सीखने के लिए तत्पर रहता था। एक दिन, रामू जंगल में खेलते-खेलते एक सुंदर से पेड़ के नीचे पहुंचा। वहां उसे एक बंदर दिखाई दिया, जो पेड़ की डालियों पर उछल-कूद कर रहा था।

रामू ने बंदर को देखकर सोचा, “कितना मजेदार है यह! मुझे इसके साथ खेलना चाहिए।” उसने बंदर को बुलाया, “अरे बंदर भाई, चलो, हम खेलते हैं!”

बंदर ने रामू की बात सुनी और पेड़ से उतरकर उसके पास आया। वह बहुत चतुर था और उसने रामू से कहा, “अगर तुम मुझसे खेलना चाहते हो, तो पहले मुझे कुछ खाने को दो।”

रामू ने अपनी जेब में से एक केला निकाला और उसे बंदर को दिया। बंदर ने केले को खुशी-खुशी खाया और कहा, “अब मैं तुम्हारे साथ खेलूंगा।” इसके बाद दोनों ने मिलकर खेलना शुरू किया। वे लुकाछिपी, दौड़ और कई अन्य खेल खेले।

दिन बीतते-बीतते, रामू और बंदर के बीच गहरी दोस्ती हो गई। वे हर दिन मिलने लगे और एक-दूसरे के साथ नई-नई मस्ती करने लगे। लेकिन एक दिन, रामू ने सोचा कि उसे कुछ नया करना चाहिए। उसने बंदर से कहा, “चलो, हम नदी के किनारे चलते हैं और वहां मछलियों को पकड़ते हैं।”

बंदर को यह विचार अच्छा लगा, और दोनों नदी की ओर चल पड़े। नदी के किनारे पहुंचकर, रामू ने अपने जाल को बिछाया और मछलियों को पकड़ने की कोशिश करने लगा। लेकिन बंदर, जो बहुत चतुर था, उसने देखा कि रामू के जाल में कुछ मछलियां फंस गई हैं, लेकिन वह मछलियों को पकड़ने के बजाय, खुद मस्ती करने लगा।

उसने रामू से कहा, “मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकता, क्योंकि मुझे तो कूदना और उछलना पसंद है!” रामू थोड़ा परेशान हुआ, लेकिन उसने बंदर की चंचलता को देखकर हंस दिया।

कुछ देर बाद, रामू ने देखा कि बंदर ने पास के पेड़ से एक आम तोड़कर उसे खाने में जुट गया है। रामू ने उसे कहा, “बंदर भाई, तुम मुझसे मदद क्यों नहीं कर रहे हो?” बंदर ने उत्तर दिया, “क्योंकि मैं आम खाना चाहता हूं, मछलियां मेरे लिए नहीं हैं।”

रामू ने मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है, लेकिन अगर हम मिलकर काम करेंगे, तो हमें ज्यादा मछलियां मिलेंगी और फिर तुम और भी आम खा सकोगे।”

बंदर ने सोचा और आखिरकार माना। उसने रामू की मदद की और दोनों ने मिलकर काफी मछलियां पकड़ीं। फिर उन्होंने अपनी मेहनत से मछलियों को एकत्रित किया और रामू ने कुछ मछलियों को पकाया।

शाम को, रामू और बंदर ने मिलकर मछलियों का स्वाद लिया और दोनों ने एक-दूसरे से अपने अनुभव साझा किए। इस तरह, रामू और बंदर की दोस्ती और भी मजबूत हुई।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि मिलकर काम करने से हम सब कुछ हासिल कर सकते हैं। चाहे हम कितने भी अलग क्यों न हों, अगर हम एक-दूसरे की मदद करें, तो जीवन में खुशियां हमेशा बनी रहेंगी।

और इस तरह, रामू और उसका बंदर दोस्त हमेशा एक साथ रहते थे, मस्ती करते थे और नई-नई चीजें सीखते थे।

0
0