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एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक बहुत ही चालाक और शरारती चूहा रहता था। उसका नाम था चीकू। चीकू दिनभर इधर-उधर दौड़ता और गाँव के हर घर में अपना आतंक मचाता। वह खाने की चीज़ें चुरा लेता और लोगों को परेशान करता। गाँव के सभी लोग उससे बहुत परेशान थे, लेकिन वह इतना फुर्तीला था कि कोई उसे पकड़ नहीं पाता था।

 

गाँव के हर घर में उसकी दहशत फैल चुकी थी। उसकी शरारतों से तंग आकर, एक दिन गाँव के लोगों ने एक योजना बनाई। उन्होंने गाँव के सबसे बड़े घर में एक बड़ी और ताकतवर बिल्ली को बुलाया, जिसका नाम था शेरू। शेरू को देखकर गाँव के लोग खुश हो गए और उन्होंने सोचा कि अब चीकू के दिन लद गए हैं।

 

शेरू बिल्ली की चालाकी और ताकत के चर्चे दूर-दूर तक थे। गाँव के लोगों ने उसे खास तौर पर इस चूहा समस्या से निपटने के लिए बुलाया था। शेरू ने गाँव के घरों में घूमना शुरू किया और चीकू को ढूँढ़ने लगा।

 

चीकू को जैसे ही शेरू के बारे में पता चला, उसकी तो घिग्घी बंध गई। उसने सोचा, “अगर मैं इस बिल्ली के पंजे में फँस गया, तो मेरी खैर नहीं।” अब चीकू को अपनी जान बचाने का रास्ता निकालना था। वह दिन-रात सोचता रहा कि शेरू से कैसे बचा जाए।

 

फिर एक दिन उसे एक चालाकी भरा उपाय सूझा। उसने सोचा, “अगर मैं शेरू को चकमा देकर उसे बेवकूफ बना दूं, तो शायद मैं बच सकता हूँ।” चीकू ने योजना बनाई और उसे अमल में लाने के लिए शेरू के पास गया।

 

चीकू ने शेरू से बड़े भोलेपन से कहा, “शेरू भैया, मैं जानता हूँ कि तुम मुझे पकड़ने के लिए यहाँ आए हो, लेकिन क्या तुम यह जानते हो कि गाँव के लोग तुम्हें धोखा दे रहे हैं? असल में वे तुम्हें यहाँ बुलाकर एक जाल में फँसा रहे हैं। अगर तुम मुझे पकड़ने की कोशिश करोगे, तो गाँव के लोग तुम्हें भी फँसा लेंगे।”

 

शेरू थोड़ी देर के लिए चौंका, लेकिन फिर उसने सोचा, “चूहा चालाकी कर रहा है, लेकिन यह भी हो सकता है कि इसमें कुछ सच्चाई हो।” चीकू की बात सुनकर शेरू ने तय किया कि पहले वह गाँव के लोगों से बात करेगा।

 

शेरू गाँव के मुखिया के पास गया और उससे पूछा, “क्या तुम लोग मुझे पकड़ने की कोशिश कर रहे हो?” मुखिया हंसते हुए बोला, “अरे नहीं, शेरू भाई, हम तो बस चीकू को पकड़ने के लिए तुम्हारी मदद चाहते हैं।”

 

शेरू को समझ आ गया कि चीकू ने उसे बेवकूफ बनाने की कोशिश की थी। अब शेरू पहले से भी ज्यादा सतर्क हो गया। दूसरी ओर, चीकू ने अपनी जान बचाने के लिए एक गहरे सुरंग में छिपने का फैसला किया। उसने खुद को गाँव के हर कोने से बचाकर रखा और अब वह शेरू से दूर, सुरंगों में छिपकर अपनी चालाकी का आनंद ले रहा था।

 

चीकू और शेरू की यह लुका-छिपी का खेल अब तक चल रहा है। शेरू चीकू को पकड़ने की कोशिश करता है, और चीकू हर बार उससे बचकर निकल जाता है।

 

कहानी की सीख:

चतुराई और चालाकी से हर मुश्किल का हल निकाला जा सकता है, लेकिन ज्यादा चालाकी कभी-कभी खुद के लिए ही मुसीबत बन सकती है।

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