Loading

जादुई पेड़ की कहानी

एक छोटे से गाँव में एक गरीब किसान रामू रहता था। वह दिन-रात मेहनत करता, लेकिन फिर भी उसके पास पैसे की कमी रहती। एक दिन, जब वह अपने खेत में काम कर रहा था, उसने एक अजीब सा पेड़ देखा। वह पेड़ सुनहरे पत्तों से भरा हुआ था और उसमें से चमत्कारी रोशनी निकल रही थी।

रामू ने उस पेड़ के पास जाकर देखा तो उसे एक आवाज सुनाई दी, “मैं एक जादुई पेड़ हूँ। तुम मुझसे तीन इच्छाएँ मांग सकते हो।” रामू चौंका गया, लेकिन उसने अपनी समझदारी से काम लिया। उसने पहले इच्छा मांगी कि उसके पास पर्याप्त पैसे हों ताकि वह अपने परिवार की जरूरतें पूरी कर सके।

जादुई पेड़ ने अपनी शाखाएँ हिलाई और तुरंत रामू के पास सोने के सिक्के गिरने लगे। रामू बहुत खुश हुआ और उसने सोचा कि अब वह अपने परिवार को खुश रख सकेगा। उसने पैसे से एक बड़ा घर, अच्छी खेती और नए कपड़े खरीदे।

कुछ समय बाद, रामू ने सोचा कि उसकी दूसरी इच्छा क्या होनी चाहिए। उसने सोचा कि उसके गाँव के लोग भी खुश रहें। इसलिए उसने जादुई पेड़ से कहा, “मैं चाहता हूँ कि मेरे गाँव के सभी लोग भी समृद्ध हो जाएँ।” पेड़ ने फिर से अपनी जादुई शक्ति का प्रयोग किया, और गाँव के सभी लोगों को भी धन मिला।

गाँव में खुशियाँ छा गईं। लेकिन अब रामू को एक और इच्छा मांगने का मौका मिला। उसने सोचा कि वह बहुत अमीर हो गया है, लेकिन उसके पास सच्चा सुख नहीं है। इसलिए उसने अपनी तीसरी और आखिरी इच्छा में कहा, “मैं चाहता हूँ कि मेरे गाँव में हमेशा खुशी और प्यार बना रहे।”

पेड़ ने फिर से जादू किया, और गाँव में एक अद्भुत बदलाव आया। लोग एक-दूसरे की मदद करने लगे, झगड़े खत्म हो गए और सभी एक-दूसरे के साथ मिलकर रहने लगे।

रामू ने महसूस किया कि असली धन पैसे में नहीं, बल्कि खुशियों और एकता में है। उसने अपनी इच्छाएँ पूरी कीं, लेकिन उसने अपनी सादगी और मेहनत को नहीं छोड़ा। अब वह न केवल खुद खुश था, बल्कि अपने पूरे गाँव को खुश रखने का प्रयास भी करता रहा।

और इस तरह, जादुई पेड़ ने रामू और उसके गाँव को एक नई दिशा दी, जहाँ प्रेम और एकता हमेशा बनी रही।

1
0