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एक बार एक बूढ़ी बिल्ली अपने टूटे दांतों और झुकी कमर से लाचार हो चली थी उसकी नाक के पास से ही दुष्ट चूहे दौड़ लगाते चले जाते, पर वह भूख से इतनी कमज़ोर हो गई थी कि झपटकर दबोचने तक चूहे खिलखिलाकर पार हो जाते। उसी बिल्ली का एक बेटा था, मां की बीमारी से ऊबकर वह जंगलों में दिन-रात बिता-बिताकर जंगली बिल्ला बन गया था। शहर की बिल्लियां उस जंगली बिल्ले को अपनी बेटी ब्याहने को तैयार नहीं हुईं तो चतुर बिल्ली के दिमाग़ में एक सूझ आई चूहों की जमात मेला देखने जा रही थी। झट से एक चुहिया को पंजों से बिल्ली ने दबोच लिया। चूहों की भीड़ में हाहाकार मच गया, पर किसमें

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