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एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में एक जादुई तालाब था। यह तालाब आम तालाबों की तरह नहीं था। इस तालाब के पानी में चमकदार चाँदनी की तरह चमक होती थी। गाँव वाले इस तालाब को बहुत मानते थे और इसे देवी माँ का प्रतीक मानते थे।

गाँव का एक छोटा लड़का, रमेश, इस तालाब के पास बहुत समय बिताता था। वह तालाब के पानी में अपना चेहरा देखकर मुस्कुराता था। एक दिन, रमेश तालाब के किनारे बैठा था और पानी में पत्थर मार रहा था। तभी एक अजीब सी आवाज आई। रमेश ने चारों ओर देखा, लेकिन उसे कुछ दिखाई नहीं दिया।

तभी, तालाब से एक सुंदर परी निकली। परी ने रमेश से कहा, “हे बालक, तुम बहुत अच्छे हो। इसलिए मैं तुम्हें एक इच्छा देने आई हूँ। तुम जो भी चाहो, मांग लो।”

रमेश बहुत खुश हुआ। उसने सोचा और फिर बोला, “मैं चाहता हूँ कि हमारा गाँव हमेशा खुश रहे और किसी को भी कभी दुख न हो।”

परी मुस्कुराई और बोली, “तुम्हारी इच्छा पूरी होगी।”

उसके बाद से, गाँव में कभी कोई दुख नहीं आया। लोग हमेशा खुश रहते थे। फसलें अच्छी होती थीं और सभी लोग एक-दूसरे की मदद करते थे। और रमेश? वह गाँव का सबसे खुश बच्चा बन गया।

कहानी का नैतिक:

अच्छे कामों का फल हमेशा अच्छा ही मिलता है।

दूसरों की खुशी में ही अपनी खुशी होती है।

क्या तुम भी कोई जादुई इच्छा मांगना चाहोगे? अगर हाँ, तो क्या मांगोगे?

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