उल्लू ने अपने बेवकूफी का फ़ायदा उठाया जंगलो के सभी जानवरों की रक्षा कारी
एक बार की बात है, एक घने जंगल में एक उल्लू रहता था। वह उल्लू बहुत ही मूर्ख था, और उसकी मूर्खता की वजह से जंगल के सभी जानवर उसकी हंसी उड़ाते थे। एक दिन, जंगल में एक बाघ ने आकर सबको परेशान कर दिया। बाघ बहुत ही खतरनाक था और जानवरों को शिकार बना रहा था।
उल्लू ने सोचा कि अब उसे अपनी मूर्खता की वजह से जंगलवासियों की मदद करनी चाहिए। लेकिन उसके पास कोई विशेष योजना नहीं थी, इसलिए उसने बस इतना किया कि एक पुरानी पुस्तक को खोल लिया जिसमें विभिन्न दवाओं के बारे में लिखा था। उसे लगा कि शायद इससे वह बाघ को मात दे सकेगा।
उल्लू ने जंगल के सभी जानवरों को इकट्ठा किया और उन्हें बताया कि उसने बाघ को पराजित करने के लिए एक जड़ी-बूटी खोजी है। जानवरों ने सोचा कि यह उल्लू की एक और मूर्खता है, लेकिन वे उसकी बातों को नजरअंदाज नहीं कर सकते थे और उसके साथ चलने लगे।
उल्लू ने जड़ी-बूटी का एक फर्जी व्रत तैयार किया और सभी जानवरों को बताया कि वे इस व्रत को पूरा करके बाघ को हराने में सफल होंगे। जानवर उल्लू की बातों में आ गए और उन्होंने व्रत पूरा करने की तैयारी शुरू कर दी।
बाघ ने देखा कि जानवर उल्लू की बातों को मान रहे हैं और उसे इस स्थिति का लाभ उठाना अच्छा लगा। उसने सोचा कि अब वह आसानी से जानवरों को पकड़ सकता है। लेकिन, जैसा कि बाघ ने योजना बनाई थी, जानवरों ने उल्लू की बातों को मानकर एक छिपे हुए स्थान पर जाने की योजना बनाई।
जब बाघ ने देखा कि जानवर एक जगह इकट्ठा हो रहे हैं, तो वह उनके पास गया और अचानक हमला कर दिया। लेकिन जानवरों ने बाघ को देखकर अपनी वास्तविक योजना पर अमल किया। उन्होंने बाघ को जड़ी-बूटी की खुशबू से भ्रमित कर दिया और अंततः उसे जंगल से बाहर कर दिया।
इस प्रकार, मूर्ख उल्लू की सलाह के बावजूद, जानवरों ने अपनी बुद्धिमानी और एकता से बाघ को हरा दिया। हालांकि उल्लू की योजना पूरी तरह से सफल नहीं हुई, लेकिन जंगल के जानवरों ने उसकी मूर्खता से कोई विशेष नुकसान नहीं होने दिया और अंततः बाघ की हार सुनिश्चित कर दी।
इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि भले ही कोई मूर्ख व्यक्ति हो, उसकी सलाह को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही, एकता और सामूहिक बुद्धिमत्ता की ताकत हमेशा काम आती है।